Monday, November 30, 2009

एक सफल यात्रा - 1

शहर और नौकरी की दौड़ भाग से कुछ दिन आराम लेने की सूझी , पर ऑफिस के काम में इतना व्यस्त होने के कारण लग नही रहा था कि ३-४ दिन की छुट्टी मिल पायेगी । शुकवार को काम की deadline थी । शुक्रवार तक काम को किसी तरह ख़तम करना था तो सूझी की अगर वीरवार तक ही अगर काम ख़तम कर दें तो ....तो कुछ बात बन सकती है शायद। बॉस से बात की ...हमेशा की तरह ना नुकर की उन्होंने॥
' अब तुम सीनियर बन गए हो और तुम पर कुछ जिम्मेदारियां हैं , तुम्हे मालूम है कि शुक्रवार की deadline है ,'
मुझे तो यह पहले से ही ज्ञात था कि मुझे यही सुनने को मिलेगा ,पर मैं भी अपनी तरफ़ से पूरी तरह तैयार हो के आया था ...
"बॉस ! अगर काम वीरवार को रात को ही ख़तम हो जाए तो ?" मैंने कहा ॥
अब उनकी बारी थी , कंप्यूटर से नजर हटाकर मेरी तरफ़ देखा और मुस्कुराये ..."हम्म... उस विषय में सोचा जा सकता है , अगर वीरवार रात सब कुछ अच्छे से ख़तम हो जाए तो तुम जा सकते हो ..., लेकिन धयान रहे पूरा काम अच्छे तरीके से होना चाहिए "
मैं तो इसके लिए तैयार ही था ..." बिल्कुल बॉस , आप फिक्र मत कीजिये, मैं पूरा काम अच्छे से करके ही जाऊंगा "
२ दिन थे और काम बहुत सारा ...पर जाने की सारी तैयारियां हो चुकी थी ... रतन जी ने सारी तैयारियां कर रखीथी । अलग ही अनुभव होगा शायद जिंदगी का इस यात्रा से , ऐसा कुछ लग रहा था । मैं पूरे जोर शोर से काम में लग गया क्यूंकि उन्हें वादा कर चुका था साथ जाने का । पर मैंने उन्हें बोला कि मैं फ़ाइनल वीरवार शाम को ही कर पाउँगा ।
वीरवार का दिन भी आ ही गया । काम चल ही रहा था , दिन में ११ बजे के आस पास रतन जी का फ़ोन आया कि क्या हालत हैं चलने के ...मैं बड़ी ही उहापोह कि स्थिति में था क्योंकि काम अभी तक पूरा नही हो रहा था और मुझे लग रहा था कि शायद मैं न जा पाऊं । मैंने उन्हें कहा कि अभी तक के हालात से तो लग रहा है कि नही जा सकूँगा। उन्होंने कहा कि आप अपना काम आराम से कीजिये अगर रात १२ बजे तक भी हो जाएगा तो हम आपको ऑफिस से ही pick कर लेंगे ।
'हम्म देखते हैं ..." कहा और बैगर लंच किए ही मैं काम में ही लगा रहा ।
शाम को ६ बज गए ...दोबारा फ़ोन की घंटी बजी । रतन जी की कॉल थी ...काम में इतना मगन था कि फ़ोन नही उठा पाया और काम में ही लगा रहा ...
क्रमश :

5 comments:

  1. शायद अभी जरी है...इन्तजार है आगे की कथा का.

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  2. मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!

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  3. kकहानी रोचक लग रही है अगली कडी का इन्तज़ार रहेगा।

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