एक नई सुबह आई , जो की रोज नई ही होती है पर इंसां पुराना ही होता है , लेकिन शायद उमंग के लिए भी यह सुबह कुछ अलग ही थी । ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था तो रात का सपना उसे याद आया , उसे विश्वास ही नही हो रहा था कि क्या उसने वाकई ऐसा ही सपना देखा है । सपने में उसने देखा कि कोई उसी गन्दी बस्ती से गुजर रहा है जिससे वह रोज गुजरता है ,वही सारा सब कुछ उसे दिखाई दिया जो वह हमेशा ही देखता है ..सुबह शाम । कुछ धुंधली धुंधली सी बातें याद आ रही हैं सपने की । वही बच्चे दिख रहे हैं ..वहां से जाता हुआ एक नौजवान दिख रहा है ...कुछ देर वहां रुका कुछ सोचा और चला गया । कुछ दिन बाद अख़बार में ,न्यूज चैनल्स पे एक ही न्यूज़ चल रही है कि कंपनी कुछ कारीगरों ने किसी तरह कंपनी से कुछ पैसों की हेराफेरी की और वो पैसे उस लड़के के अकाउंट में मिलते हैं पर अगले ही दिन वो पैसे नही होते हैं ....पर साथ में ही एक घटना और घटित होती है ..उस झुग्गी झोपडी के पास एक स्कूल बना हुआ है और वो बच्चे वहां पे पढ़ रहे हैं । तो सब जगह यही ख़बर है कि इन लोगों को दण्डित किया जाना चाहिए ??? क्यूंकि पैसा ऐसे काम के लिए खर्च किया गया है जिसका कोई भी मोल नही है ....इतना ही सपना उसे धयान है अभी ,उसके आगे क्या हुआ उसे याद ही नही आ रहा है । वो ख़ुद भी इसी बात पे सोच रहा है अगर ऐसा हकीकत में हो तो कैसा हो ??
सपने से बाहर आया तो उसे ऑफिस जाने की सूझी । पास रखे रेडियो में जगजीत की गजल चल रही थी , जिसके बोल कुछ इस तरह थे ...'हर एक मोड़ पे हम ग़मों को सजा दें ,चलों जिंदगी को मोहब्बत बना दें ...' इसे सुन कर उसके चेहरे पर एक मुस्कराहट आ गई । काफ़ी अच्छा महसूस करने लगा , ऑफिस की तरफ़ रस्ते में फ़िर उन बच्चों को देखा ...मन में आया कि कुछ करना ही पड़ेगा वरना मेरे इस मन को चैन नही पड़ने वाला है और उसके सपने ने उसे काफ़ी अच्छा उपाय भी बता दिया था कि उसे अब क्या करना है ...पर यह सोचना था कि कैसे करना है ???
aज पिछली किश्त भी पढी कहानी अच्छी है आपका स्वागत है ब्लागजगत मे शुभकामनायें
ReplyDeletejab kuch karne ka soch liya to raste apne aap banege.....
ReplyDelete